दिवाली है त्यौहार मानने कोज्ञान दीप जलाकर अज्ञान भगाने कोआत्म बोध के बाण से "मैं" को हराने कोअद्वैत वेदांत से आनंद रस में आने कोराम अद्वैत है, श्याम अद्वैत हैअद्वैत है सत्य, सत्य स्वीकार ज्ञानी को🙏
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नर्क की आदत
वृत्ति को और छोटा करते हैं - आदत से शुरू करते हैं। व्यक्ति अधिकांशत अपनी आदत का गुलाम होता है अपनी कल्पना में हम खुद को आज़ाद कहते हैं, पर क...

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शिष्य का इंतजार करना क्या है? क्या ये कमजोरी है? क्या ये सहनशक्ति है, आलसीपन है ? मुक्ति स्वभाव से निकलती है। मेरा स्वभाव आनंद है या प्रेम। ...
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खेल है प्रकृति का, गुण दिए हैं प्रकृति ने। तुम नाहक ही अपने पर ले रहो हो । तुम तो ताश के पत्तों के समान हो, जो हो वो हो खेल में, खेल ही ब...
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